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नशे में धुत प्राचार्य का कारनामा! स्कूल समय में ‘आशिकी’ गाने सुनते पकड़े गए, पत्रकारों से की बदसलूकी, दोपहर 1:30 बजे तक स्कूल रहा पूरी तरह खाली

महुआडांड़ (लातेहार) — महुआडांड़ प्रखंड के केवरकी स्थित सरकारी विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था की हालत उस समय उजागर हो गई, जब सोमवार को दोपहर करीब 1:30 बजे तक स्कूल परिसर पूरी तरह छात्रों से खाली मिला। हैरानी की बात यह रही कि इसी दौरान विद्यालय के प्राचार्य नशे की हालत में मोबाइल पर तेज आवाज में भोजपुरी ‘आशिकी’ गाने सुनते हुए पकड़े गए।ग्रामीणों के अनुसार यह कोई एक दिन की घटना नहीं है, बल्कि यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, जिससे बच्चों और अभिभावकों का स्कूल से भरोसा पूरी तरह उठ चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस समय प्राचार्य को कक्षा में बच्चों को पढ़ाना चाहिए था, उस समय वे कार्यालय कक्ष में दरवाजा बंद कर मनोरंजन में डूबे हुए थे।इस तरह का आचरण न केवल शिक्षक की गरिमा को तार-तार करता है, बल्कि नौनिहालों के भविष्य के साथ भी खुला खिलवाड़ है। अभिभावकों में इसको लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि स्कूल का शैक्षणिक माहौल पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।

पत्रकारों से भी किया अभद्र व्यवहार

मामले की जानकारी मिलने पर जब पत्रकार स्कूल पहुंचे और प्राचार्य से सवाल किए, तो उन्होंने न केवल सवालों से बचने की कोशिश की, बल्कि पत्रकारों से अभद्र व्यवहार भी किया। इस दौरान वे लगातार टालमटोल करते रहे और जवाब देने से बचते नजर आए, जिससे ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया।

प्राचार्य ने खुद कबूली सच्चाई

जब प्राचार्य से बच्चों की उपस्थिति को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि केवल चार बच्चे ही स्कूल आए थे, जो मिड डे मील खाकर वापस लौट गए। उन्होंने यह भी माना कि लगभग रोज़ यही स्थिति रहती है।ग्रामीणों का आरोप है कि प्राचार्य अक्सर नशे की हालत में स्कूल पहुंचते हैं, जिससे बच्चों में भय का माहौल बना रहता है और पढ़ाई से अरुचि बढ़ती जा रही है। एक ग्रामीण ने कहा, “जब शिक्षक ही नशे में रहकर गाने सुनेंगे, तो बच्चे पढ़ाई में कैसे मन लगाएंगे?”

शिक्षा विभाग की निगरानी पर उठे गंभीर सवाल

इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का साफ कहना है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी कभी भी स्कूल की नियमित जांच करने नहीं आते, जबकि इस स्कूल की शिकायतें बार-बार की जा चुकी हैं।ग्रामीणों के अनुसार मिड डे मील, मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और छात्रवृत्ति जैसी सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित होकर रह गई हैं। बच्चे केवल भोजन के लिए स्कूल आते हैं और शिक्षा से लगातार दूर होते जा रहे हैं।

डीसी से जांच और सख्त कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी प्राचार्य पर सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में बच्चों का भविष्य खराब होने से बचाया जा सके।

उप प्रमुख अभय मिंज का बयान

महुआडांड़ प्रखंड में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए उप प्रमुख अभय मिंज ने कहा यह मामला बेहद गंभीर है। इसकी जानकारी जिले के शिक्षा अधिकारियों को दी जाएगी और जल्द जांच कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।”

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