महुआडांड़ में आंगनबाड़ी शौचालय बना ठेकेदार की “कमाई का अड्डा”, घटिया निर्माण से योजना बदनाम

महुआडांड़ प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में बन रहे शौचालय अब स्वच्छता की पहचान नहीं, बल्कि ठेकेदार की मनमानी और लालच का नमूना बनते जा रहे हैं। जिस योजना का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को सम्मानजनक सुविधा देना था, वही योजना आज घटिया निर्माण और लापरवाह कार्यशैली के कारण सवालों में घिर गई है।स्थल पर स्थिति यह है कि कई जगहों पर बिना मजबूत नींव के दीवारें खड़ी कर दी गई हैं। कमजोर ईंट, बेहद कम सीमेंट और मिलावटी बालू का इस्तेमाल खुलेआम किया जा रहा है। निर्माणाधीन कई शौचालय पूरा होने से पहले ही दरकने लगे हैं। पानी की टंकी, नाली और स्थायी जल आपूर्ति जैसी जरूरी व्यवस्थाएं सिर्फ फाइलों में दिखाई दे रही हैं।
ठेकेदार की जल्दबाजी, गुणवत्ता की बलि
ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार काम पूरा दिखाकर जल्द से जल्द भुगतान निकालने की होड़ में लगा हुआ है। गुणवत्ता की कोई परवाह नहीं की जा रही। नाप-जोख, मिक्सिंग अनुपात और निर्माण मानकों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। लोगों का कहना है कि अगर यही रफ्तार और यही क्वालिटी रही, तो ये शौचालय बनते ही टूटने की स्थिति में पहुंच जाएंगे।
बच्चों की सेहत पर सीधा खतरा
आंगनबाड़ी केंद्रों में जहां मासूम बच्चे दिन का अधिकांश समय बिताते हैं, वहां इस तरह का कमजोर और असुरक्षित शौचालय बनना सीधे उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ घटिया निर्माण नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा के साथ एक गंभीर लापरवाही है।
केवल उच्चस्तरीय तकनीकी जांच की मांग
ग्रामीणों ने साफ शब्दों में मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय तकनीकी जांच कराई जाए, ताकि यह सामने आ सके कि कितना भुगतान हुआ, कितना काम हुआ और कहां-कहां मानकों से समझौता किया गया। लोगों का कहना है कि जांच निष्पक्ष हुई तो ठेकेदार की पूरी कार्यशैली अपने आप बेनकाब हो जाएगी।
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