रांची में कड़ाके की ठंड से बढ़ी बेसहारा लोगों की परेशानी, कंबल और अलाव की व्यवस्था नदारद

रांची: राजधानी में बढ़ती ठंड ने आम लोगों के साथ-साथ बेसहारा और जरूरतमंदों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। देर शाम से लेकर सुबह तक शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लोग ठंड में कांपते हुए नजर आ रहे हैं। रात में ठहरने की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण कई लोग फुटपाथ, स्टेशन के प्लेटफॉर्म और दुकानों के सामने प्लास्टिक बोरे, चटाइयों और पुराने कपड़ों के सहारे किसी तरह रात गुजारने को मजबूर हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक प्रशासन की ओर से न तो कंबल वितरण की कोई ठोस व्यवस्था की गई है और न ही ठंड से राहत के लिए अलाव जलाने की पहल दिख रही है। रांची रेलवे स्टेशन पर दर्जनों लोग फर्श पर सोकर पूरी रात काट रहे हैं। इनमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की संख्या भी कम नहीं है, जिन्हें ठंड सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। कई बुजुर्ग ठंड के कारण बीमार पड़ने लगे हैं, वहीं छोटे बच्चे ठिठुरते हुए दिखाई दे रहे हैं शहरवासियों में इस स्थिति को लेकर गहरी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि हर साल ठंड के मौसम में ऐसी स्थिति बनती है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की तैयारी नाकाफी रहती है। लगातार गिरते तापमान को देखते हुए किसी भी तरह की अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।बेसहारा लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द कंबल वितरण, अलाव की व्यवस्था और रैन-बसेरों (आश्रय गृह) की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि वे सुरक्षित तरीके से रात बिता सकें। वहीं समाजसेवी संगठनों और आम जनता से भी अपील की गई है कि वे आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद करें। शहर के सक्षम लोग यदि कंबल, गर्म कपड़े या अलाव की व्यवस्था में सहयोग करें तो ठंड से जूझ रहे लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है।फिलहाल, जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक रांची की सड़कों पर ठंड और मजबूरी के बीच जूझते इन लोगों की परेशानी यूं ही जारी रहने की आशंका बनी हुई है।
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