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रांची NDPS केस: 100 ग्राम गांजा में 5 साल चली सुनवाई, कोर्ट ने कहा 30 दिन की जेल ही काफी

रांची नगड़ी थाना क्षेत्र के करमटोली निवासी बिमल भगत पर 100 ग्राम गांजा रखने का केस लगातार पाँच साल चला। NDPS के विशेष न्यायाधीश ओंकार नाथ चौधरी ने बिमल को दोषी तो माना, लेकिन उसकी पहले से काटी गई 30 दिन की न्यायिक हिरासत को ही अंतिम सजा मानते हुए रिहाई का आदेश दे दिया।17 दिसंबर 2020 को नागरी थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि कटहल मोड़ स्थित बिमल की पान दुकान से गांजा-भांग की बिक्री हो रही है।पुलिस छापेमारी में 20 पुड़िया बरामद हुईं — कुल वजन लगभग 100 ग्राम।जब्ती सूची स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में तैयार हुई।FSL रिपोर्ट ने पुष्टि की कि सामग्री गांजा (Cannabis Sativa) ही है।बिमल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और उसने 30 दिन जेल में बिताए, जिसके बाद जमानत मिली।

कोर्ट ने क्या कहा?

बरामद मात्रा बहुत कम है।

अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है 19 दिसंबर 2020 से 19 जनवरी 2021 तक की 30 दिन की न्यायिक हिरासत ही पर्याप्त दंड है।कोर्ट ने सुधार का मौका देते हुए अवधि-पूर्व सजा (sentence already undergone) देकर मामला खत्म कर दिया।

क्यों चर्चा में?

अधिवक्ता का कहना है कि अगर बिमल सुनवाई के दौरान ही दोष स्वीकार कर लेता, तो उसे 5 साल तक कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ते—जैसा कई हालिया मामलों में हुआ है।

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