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रोजगार के अभाव में महुआडांड़ प्रखंड के गांवों से लगातार हो रहा पलायन, चुनावी वादे साबित हो रहे खोखले

महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत ओरसा पंचायत सहित कई अन्य पंचायतों के ग्रामीण आज गंभीर बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण सैकड़ों मजदूर दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हैं। पलायन का यह सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे गांवों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति भी कमजोर होती जा रही है।ग्रामीणों का कहना है कि झारखंड सरकार द्वारा चुनाव के समय स्थायी रोजगार, स्वरोजगार और मजदूरी बढ़ाने को लेकर कई वादे किए गए थे, लेकिन आज भी अधिकांश पंचायतों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। ओरसा पंचायत, सहित महुआडांड़ प्रखंड के विभिन्न गांवों से हर साल बड़ी संख्या में युवा, पुरुष और महिलाएं रोजगार की तलाश में केरल,दिल्ली,मुंबई,चेन्नई उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों का रुख कर रहे हैं।पलायन के कारण गांवों में खेती-बाड़ी प्रभावित हो रही है, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और कई परिवार टूटने की कगार पर पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा जैसी योजनाओं का सही तरीके से संचालन नहीं हो रहा, जिससे उन्हें स्थानीय स्तर पर 100 दिन का रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है।ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और झारखंड सरकार से मांग की है कि प्रखंड क्षेत्र में स्थायी रोजगार की व्यवस्था की जाए, छोटे उद्योग-धंधों और स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाए, तथा सरकारी योजनाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए। साथ ही युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की भी आवश्यकता है।ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में पलायन और तेज होगा, जिससे पूरे क्षेत्र पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

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