लातेहार: पहाड़ी गांवों में विकास योजनाएं बनी कागजी, बुनियादी सुविधाओं की राह में बाधाएं

लातेहार जिले के बुढ़ा पहाड़ क्षेत्र में चलाई गई एक्शन प्लान का मकसद था कि दुर्गम और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासी परिवारों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचे और उनके जीवन में सुधार हो। लेकिन जिले की तलहटी में स्थित तिसिया गांव के लोग इस योजना को केवल कागज़ी विकास के तौर पर ही देख रहे हैं।ग्रामीण बताते हैं कि रोजगार की कमी ने पलायन को उनकी मजबूरी बना दिया है। वहीं सरकारी उदासीनता उनकी कठिनाइयों को और बढ़ा रही है। राशन जैसी सरल सुविधा भी उनके लिए कठिन परीक्षा बन चुकी है। तिसिया के लोग 12 किलोमीटर दूर चेतमा पंचायत तक जंगल और पहाड़ पार कर राशन लेने जाते हैं। बारिश के दिनों में नदी पार करना बेहद जोखिमभरा हो जाता है ग्रामीणों के अनुसार, डिजिटल युग के बावजूद उन्हें राशन लेने से पहले महुआडांड़ ब्लॉक जाकर बायोमेट्रिकवेरिफ़िकेशन करवाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में आने-जाने का खर्च लगभग 80 रुपये होता है, जो पहाड़ी इलाकों में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गरीब परिवारों के लिए भारी पड़ता है।तिसिया के निवासियों जुलपान नगेसिया, मिला कुमारी, मेघा नगेसिया, संजय यादव, कलंगी देवी और आरती देवी का आरोप है कि चेतमा के पीडीएस दुकानदार आनंद कुमार राशन वितरण में गड़बड़ी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कार्डधारक छह लाभुकों से चार किलो और चार लाभुकों से दो किलो राशन कम दिया जाता है।इस विषय पर जिला खाद्य आपूर्ति पदाधिकारी श्रवण राम ने कहा कि अगर डीलर द्वारा राशन कम दिया जा रहा है तो इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों की लंबी दूरी की समस्या का समाधान निकाला जाएगा।
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