
महुआडांड़, 28 अगस्त 2025
- हामी, महुआडांड़ में इमामे हुसैन और शहीदाने कर्बला की याद में मोहर्रम चालीसवां का जुलूस निकाला गया।
- कार्यक्रम में जलसा का भी आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
- आयोजन को सफल बनाने में अध्यक्ष रूहुल आमीन, सदर सफीक साहब और उनकी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- मुख्य अतिथियों में जमिया नूरिया जिया-उल-इस्लाम के सदर इमरान खान और मदरसा अशरफिया गरीब नवाज के सदर मजुल अंसारी सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
- प्रशासन और थाना प्रभारी मनोज कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल ने सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की।
घटना का विवरण
कल महुआडांड़ प्रखंड के हामी पंचायत में इमामे हुसैन और शहीदाने कर्बला की याद में मोहर्रम चालीसवां का जुलूस निकाला गया। इस अवसर पर एक विशेष जलसा कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, धार्मिक और सामाजिक प्रतिनिधि शामिल हुए।
आयोजन को सफल बनाने में मोहर्रम चालीसवां समिति के अध्यक्ष रूहुल आमीन, सदर सफीक साहब और उनकी टीम ने विशेष भूमिका निभाई।

मुख्य अतिथियों की मौजूदगी
कार्यक्रम में जमिया नूरिया जिया-उल-इस्लाम के सदर इमरान खान और मदरसा अशरफिया गरीब नवाज के सदर मजुल अंसारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इसके अलावा सेक्रेट्री मजहर खान, साहबुद्दीन साहब, फिरोज अंसारी, राशिद खान, जमी़ल अहमद, जिशान खान, रानू खान, तबरक, परवेज़ आलम, महुआडांड़ की जिला परिषद सदस्य एस्टेला नगेसिया और हामी पंचायत के मुखिया प्रदीप बड़ााइक भी शामिल हुए।
कार्यक्रम की एक खास बात यह रही कि इसमें सभी धर्मों के लोगों ने मिलकर हिस्सा लिया, जिससे क्षेत्र में आपसी भाईचारे और एकता का संदेश गया।
प्रशासन की भूमिका
कार्यक्रम को शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल में संपन्न कराने के लिए थाना प्रभारी मनोज कुमार और उनकी पुलिस टीम ने पूरी जिम्मेदारी निभाई। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही और किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
इमामे हुसैन का संदेश
मोहर्रम चालीसवां का यह कार्यक्रम सिर्फ ऐतिहासिक याद नहीं है, बल्कि इंसानियत और इंसाफ का संदेश भी है।
इमामे हुसैन (अ.स.) का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य और न्याय के लिए खड़े रहना ही असली ईमानदारी है।
जैसा कि कार्यक्रम में एक मौलाना ने कहा:
“इमामे हुसैन ने कर्बला की धरती पर हमें यह सिखाया कि ज़ुल्म चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, इंसानियत और सच्चाई उससे हमेशा ऊँची होती है।”
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने कहा,
“यह कार्यक्रम सिर्फ धार्मिक महत्व का ही नहीं बल्कि भाईचारे का प्रतीक भी है। सभी समुदायों की मौजूदगी ने इसे और खास बना दिया।”
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