
लातेहार, 3 सितम्बर 2025
- सरयू प्रखंड मुख्यालय स्थित ASM मेमोरियल एकेडमी स्कूल मैदान में करमा पूजा महोत्सव का आयोजन
- हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय की भागीदारी
- 30 से अधिक नृत्य मंडलियों ने प्रस्तुत किए पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य
- आदिवासी नेताओं ने करमा पर्व को संस्कृति और भाईचारे का प्रतीक बताया
- सभी नृत्य मंडलियों को सम्मानित कर दिया गया पुरस्कार
करमा पूजा महोत्सव में उमड़ा जनसैलाब
लातेहार के सरयू प्रखंड मुख्यालय स्थित ASM मेमोरियल एकेडमी पब्लिक स्कूल के मैदान में आदिवासी विकास मंच के तत्वावधान में करमा पूजा महोत्सव बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया गया। प्रखंड के विभिन्न पंचायतों और ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। पारंपरिक नगाड़ा, घंट एवं मंडार की थाप पर लोग थिरकते हुए प्रकृति पर्व का आनंद लेते नजर आए।
करमा पर्व का महत्व
सरहुल के बाद करमा पूजा आदिवासी समाज का दूसरा सबसे बड़ा प्रकृति पर्व माना जाता है। भादो मास की एकादशी को मनाया जाने वाला यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं। करमा वृक्ष की पूजा कर प्रकृति से जुड़ाव और सालभर सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की झलक
कार्यक्रम में 30 से अधिक नृत्य मंडलियों ने भाग लिया और पारंपरिक गीत-संगीत के साथ अपनी सांस्कृतिक पहचान को जीवंत किया। सभी मंडलियों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया, जिससे प्रतिभागियों में खासा उत्साह देखने को मिला।
नेताओं ने दिया संदेश
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री नरेंद्र उरांव ने की, जबकि जिला परिषद सदस्य सह कार्यक्रम संरक्षक श्री बुद्धेश्वर उरांव ने अपने संबोधन में कहा—
“हम आदिवासी मूलवासी हैं और प्रकृति के पूजक हैं। पेड़-पौधे, जंगल-झाड़, नदी-झरना और पहाड़ हमारी आस्था का हिस्सा हैं। करमा पर्व हड़प्पा सभ्यता के काल से चला आ रहा है और यह हमारी संस्कृति की पहचान है। हमें आपसी भाईचारे और प्रेमभाव के साथ रहकर हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।”
प्रमुख अतिथि और उपस्थिति
मौके पर प्रमुख रूप से बुद्धेश्वर उरांव (संस्थापक), नरेंद्र उरांव (अध्यक्ष), राजेश सिंह (मुखिया, गणेशपुर पंचायत), अंकिता मुखिया (चोरहा पंचायत), प्रमिला देवी (पंचायत समिति, चोरहा), विलासी देवी (उपाध्यक्ष), प्रमिला देवी (कोषाध्यक्ष एवं मुखिया, घासीटोला), पाहन सुनील उरांव समेत समिति के सदस्य व बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद रहे।
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