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नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, घाटों पर तैयारियाँ ज़ोरों पर

महुआडांड़, 26 अक्टूबर 2025

  • नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, श्रद्धा और भक्ति का माहौल
  • चार दिवसीय पर्व में व्रती शुद्धता और अनुशासन के साथ कर रहे तैयारी
  • घाटों पर सफाई और सजावट का काम प्रशासन एवं स्थानीय युवकों द्वारा जारी
  • सुरक्षा, रोशनी और स्वच्छता को लेकर प्रशासन ने किए पुख्ता इंतज़ाम
  • छठ गीतों की गूंज से माहौल भक्तिमय, ग्रामीणों में उल्लास का वातावरण

नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का शुभारंभ

महुआडांड़ प्रखंड क्षेत्र में सूर्य उपासना के महापर्व छठ की शुरुआत आज नहाय-खाय के साथ श्रद्धा और उल्लासपूर्ण वातावरण में हुई। यह पर्व चार दिनों तक चलेगा और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। सुबह से ही महिलाएँ नदी और तालाबों में स्नान कर शुद्ध भोजन तैयार करने में जुटीं।
व्रती (उपवास रखने वाले) दिनभर सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। इसी के साथ खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य की तैयारी भी तेज़ हो गई है।


घाटों पर जोर-शोर से तैयारियाँ

स्थानीय घाटों जैसे सरयु नदी घाट, बनारी घाट और महुआडांड़ तालाब पर सफाई और सजावट का कार्य जारी है। युवक मंडल और पंचायत प्रतिनिधि स्वयंसेवक बनकर सफाई कार्य में लगे हैं। रंग-बिरंगे कपड़े, केले के पत्ते और मिट्टी के दीपों से घाटों को सजाया जा रहा है।
प्रशासन की ओर से रोशनी, सुरक्षा और चिकित्सीय व्यवस्था की जिम्मेदारी तय की गई है। लातेहार जिला प्रशासन ने चौकसी बढ़ाने और भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती की है।

“छठ सिर्फ पूजा नहीं, यह हमारे परिवार की खुशहाली और समाज की एकता का प्रतीक है। हर साल हम इसे पूरे मन से मनाते हैं।”


🎶 गीतों और उल्लास से गूंजा वातावरण

ग्रामीण इलाकों से लेकर बाज़ार तक छठ गीतों की गूंज सुनाई दे रही है —
“केलवा जस लागे हो पवनवा, ओ दीनानाथ…”
बच्चे और युवा दोनों ही इस पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। महिलाएँ पूरे उत्साह से प्रसाद की तैयारी कर रही हैं, वहीं दुकानों पर पूजा सामग्री की खरीददारी भी जोरों पर है।


🌞 लोक आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान

छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मइया की उपासना का पर्व है। श्रद्धालु अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शुद्धता, अनुशासन और पर्यावरण के प्रति सम्मान का भी प्रतीक माना जाता है।


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