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बारीबांध डैम की लीज विवाद में ग्रामीणों ने उपायुक्त से की उच्चस्तरीय जांच की मांग

गारू प्रखंड के रुद पंचायत स्थित ग्राम बारीबांध के ग्रामीणों ने स्थानीय बारीबांध डैम को अवैध तरीके से निजी लीज पर देने के प्रयास के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय में विरोध जताया है और मामले की तत्काल और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।ग्रामीणों का कहना है कि बारीबांध डैम वर्षों से सामुदायिक जलस्रोत के रूप में कार्यरत है और इसका उपयोग सिंचाई, मत्स्य पालन और पशुधन के लिए सभी गांववालों द्वारा समान रूप से किया जाता रहा है।ग्रामीणों ने बताया कि हाल ही में कुछ अज्ञात लोग, जिनमें बालसुन्दर उरांव का नाम भी शामिल है, बिना ग्राम सभा की अनुमति और बिना किसी आधिकारिक प्रक्रिया के डैम को निजी लीज पर देने का प्रयास कर रहेथेसामुदायिक संपत्ति को निजी हाथों में देने का यह प्रयास संपूर्ण रूप से नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।यह कदम पेसा अधिनियम 1996 और झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की मंशा के खिलाफ है, जो किसी भी सामुदायिक संसाधन के प्रबंधन और लीज के लिए ग्राम सभा की मंजूरी और पारदर्शिता अनिवार्य मानते हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी ग्राम सभा दिखाकर लीज प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया, जिसे वे पूरी तरह अवैध बताते हैं।

ग्रामीणों की चिंता

समुदाय के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि यदि डैम को निजी लीज पर दे दिया गया, तो इससे वर्षों से चल रही सामुदायिक सिंचाई व्यवस्था और आजीविका पर गंभीर संकट उत्पन्न होगा।

मांग

ग्रामीणों ने उपायुक्त से निवेदन किया है कि— फर्जी ग्राम सभा के आधार पर तैयार किए गए लीज प्रस्ताव को तत्काल निरस्त किया जाए, पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने सामुदायिक अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी अवैध लीज को मंजूरी नहीं देंगे।

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