महुआडांड़ लोध फॉल में टूटा पुल बना बड़ी रुकावट, महुआडांड़ इलाके में पर्यटक लौटने को मजबूर

महुआडांड़/ Latehar, 22 November 2025
- महुआडांड़ प्रखण्ड क्षेत्र स्थित लोध फॉल में टूटा पुल बना पर्यटकों के लिए बड़ी बाधा
- बरसात में टूटा लकड़ी का पुल अभी तक नहीं सुधरा, पर्यटक दूर से ही नज़ारा देखकर लौट रहे
- दिसंबर–जनवरी के पर्यटन सीजन पर भारी असर की आशंका
- महुआडांड़ क्षेत्र के स्थानीय कारोबारियों की आय पर सीधा प्रभाव
- वन विभाग का बयान—पानी कम होते ही मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा, सुरक्षा हेतु चेतावनी बोर्ड लगाए गए
महुआडांड़ प्रखण्ड का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल लोध फॉल इस समय उपेक्षा का गंभीर शिकार है। बरसात के दौरान टूटा हुआ लकड़ी का पुल कई महीनों के बाद भी ठीक नहीं हो पाया है। इसके कारण दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को झरने की असली सुंदरता नज़दीक से देखने का मौका नहीं मिल पा रहा।
लोध फॉल महुआडांड़ और लातेहार क्षेत्र का एक प्रमुख आकर्षण है। लेकिन टूटा हुआ पुल न सिर्फ पर्यटकों के लिए परेशानी का कारण है, बल्कि उनकी यात्रा को अधूरा बना रहा है।
कई सैलानी शिकायत कर रहे हैं कि लंबी दूरी तय कर फॉल तक पहुंचने के बाद भी उन्हें केवल दूर से जलप्रपात का नज़ारा देखकर लौटना पड़ रहा है।
एक सैलानी ने बताया—
“हम महुआडांड़ से यहां घूमने आए थे, पर अंदर जाने का रास्ता बंद है। इतने खूबसूरत फॉल को पास से न देख पाना बहुत निराशाजनक है।”
पर्यटन सीजन पर संकट
स्थानीय लोगों के अनुसार लोध फॉल का असली पर्यटन सीजन दिसंबर और जनवरी में होता है।
महुआडांड़ और आसपास के क्षेत्रों में हजारों पर्यटक आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है।
लेकिन टूटा हुआ पुल इस पूरे सीजन पर संकट की तरह छाया हुआ है।
एक स्थानीय दुकानदार ने कहा—
“महुआडांड़ में कारोबार काफी हद तक लोध फॉल के पर्यटकों पर निर्भर करता है। पर्यटक लौट जाते हैं तो हमारी रोज़ी पर असर पड़ता है।”
वन विभाग का पक्ष
वन विभाग के वनपाल कुवर गंझू ने जानकारी दी कि विभाग पुल और टूटी सीढ़ियों के मरम्मत कार्य को लेकर प्रयासरत है।
उन्होंने कहा—
“जैसे ही पानी का स्तर कम होगा, मरम्मत तुरंत शुरू कर दी जाएगी। पर्यटकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है, इसलिए चेतावनी बोर्ड लगाकर अंदर जाने पर रोक रखी गई है।”
स्थानीय लोगों की मांग
महुआडांड़ क्षेत्र के ग्रामीण, दुकानदार और गाइड प्रशासन से जल्द से जल्द मरम्मत कराने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि देरी से पूरा पर्यटन सीजन प्रभावित हो सकता है और इससे स्थानीय आजीविका पर बड़ा असर पड़ेगा।
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