लातेहार : कुएं के दूषित पानी से बनाया जा रहा मिड-डे मील, पीरी स्कूल के बच्चे पीने को मजबूर,दो वर्षों से जल संकट, प्रशासन मौन

लातेहार, 11 नवंबर 2025
- पीरी मध्य विद्यालय में दो वर्षों से जल संकट, चापानल और जलमीनार दोनों खराब
- 103 बच्चे खेत के दूषित कुएं के पानी से मिड-डे मील और पीने को मजबूर
- ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को दी शिकायत, कार्रवाई अब तक शून्य
- दूषित पानी से बच्चों में पेट दर्द, उल्टी, दस्त जैसी बीमारियों की शिकायतें
- डीसी उत्कर्ष गुप्ता से तत्काल जांच और समाधान की मांग
कुएं के दूषित पानी से बन रहा मिड-डे मील, दो साल से जारी जल संकट
लातेहार जिले के सरयू प्रखंड स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय पीरी में बीते दो वर्षों से पेयजल संकट बना हुआ है। विद्यालय की जलमीनार टंकी और चापानल दोनों लंबे समय से खराब हैं। ऐसे में विद्यालय के 103 छात्र-छात्राएं और रसोइए खेत में बने सिंचाई कुएं के दूषित पानी का उपयोग कर रहे हैं। यही पानी पीने और मिड-डे मील बनाने दोनों के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार ने बताया,
“लगातार दो वर्षों से विद्यालय में पेयजल की समस्या बनी हुई है। बच्चों को खेत के कुएं का पानी पीना पड़ रहा है। आठ महीने पहले बीडीओ को आवेदन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
उन्होंने कहा कि स्वच्छ पानी की उपलब्धता न होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों में रोष, बच्चों की तबीयत बिगड़ रही
विद्यालय के समीप रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि जिस कुएं से पानी लाया जा रहा है, वह सिंचाई के लिए बनाया गया था, पीने योग्य नहीं है। गर्मी के मौसम में यह पानी और अधिक गंदा हो जाता है।
ग्रामीनो ने बताया,
“हमने कई बार पंचायत प्रतिनिधियों और प्रखंड कार्यालय में शिकायत की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। बच्चे बीमार हो रहे हैं, लेकिन स्कूल में पानी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।”
ग्रामीणों के अनुसार, कई बच्चों में पेट दर्द, उल्टी, दस्त और त्वचा रोग जैसी समस्याएं देखी जा रही हैं, जिससे अभिभावक चिंतित हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों पर संकट
विद्यालय में पेयजल सुविधा के अभाव ने न केवल स्वास्थ्य बल्कि शिक्षा को भी प्रभावित किया है। दूषित पानी पीने से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, जिससे उनकी उपस्थिति घट रही है। कई अभिभावकों का कहना है कि बच्चे अब स्कूल आने से डरते हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि “मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन देना है, लेकिन जब वही भोजन दूषित पानी से बनाया जा रहा है, तो यह योजना अपने मकसद से भटक गई है।”
डीसी उत्कर्ष गुप्ता से जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों, अभिभावकों और विद्यालय प्रबंधन समिति ने लातेहार उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता से इस मामले की तत्काल जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि विद्यालय की जलमीनार और चापानल की मरम्मत शीघ्र नहीं कराई गई, तो वे प्रखंड कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन करेंगे।
जनता का सवाल : कब जागेगा सिस्टम?
दो वर्षों से लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होना सरकारी तंत्र की गंभीर निष्क्रियता को उजागर करता है। जब सरकारी योजनाएं केवल फाइलों में सिमट जाएं और जमीनी स्तर पर बच्चे दूषित पानी से भोजन करने को मजबूर हों, तो यह केवल सिस्टम की विफलता नहीं, बल्कि मानवता पर प्रश्नचिह्न है।
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