झारखंड: महुआडांड़ अंचल में डेढ़ महीने से ठप भू-राजस्व कार्य, जनता परेशान, अधिकारी बेपरवाह! झारटाइम्स डिजिटल मीडिया ने उठाई आवाज

झारखंड के भूमि सुधार विभाग की आधिकारिक वेबसाइट, झारभूमि (Jharbhoomi), पर पिछले लगभग डेढ़ महीने से आ रही तकनीकी खराबी ने लातेहार जिले के महुआडांड़ अंचल के हजारों रैयतों (किसानों) को भारी परेशानी में डाल दिया है। झारटाइम्स डिजिटल मीडिया ने इस गंभीर मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए जनता की आवाज बनने का प्रयास किया है, लेकिन इसके बावजूद भी अधिकारियों की बेपरवाही जारी है। 21 अप्रैल 2025 से रैयतों का नाम, लगान रसीद (Land Receipt) और पंजी-II में दिखाई नहीं दे रहा है, जिसके कारण वे अपनी जमीन का लगान नहीं भर पा रहे हैं। इतना ही नहीं, महुआडांड़ अंचल के अंतर्गत जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया भी पूरी तरह से ठप पड़ी है।
यह गंभीर तकनीकी समस्या लगभग 1.5 महीने से बनी हुई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस ओर न तो अंचल के अधिकारियों का ध्यान है, न जिला प्रशासन का और न ही NIC (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के तकनीकी विभाग का। झारटाइम्स डिजिटल मीडिया द्वारा लगातार इस विषय पर रिपोर्टिंग के बावजूद, संबंधित विभागों की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, यह ऐसी समस्या है जिसे 3 से 4 दिनों में ठीक किया जा सकता था, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या है समस्या?
झारभूमि पोर्टल पर रैयतों का डेटा सही से प्रदर्शित न होने के कारण वे ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से भी लगान रसीद नहीं कटा पा रहे हैं। लगान रसीद जमीन के मालिकाना हक का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है और इसके बिना कई सरकारी योजनाओं और बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इसके अलावा, जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया का ठप होना भी लाखों के राजस्व घाटे का कारण बन रहा है, साथ ही संपत्ति हस्तांतरण से जुड़े कार्यों को भी बाधित कर रहा है।
जनता में भारी रोष, झारटाइम्स डिजिटल मीडिया लगातार कर रहा है फॉलोअप
महुआडांड़ अंचल के रैयत इस स्थिति से बेहद आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि सरकारी लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। कई लोग अपनी जमीन से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों के लिए परेशान हैं, लेकिन अधिकारियों की तरफ से कोई स्पष्टीकरण या समाधान नहीं मिल रहा है।
झारटाइम्स डिजिटल मीडिया लगातार इस मामले में पीड़ितों से संपर्क में है और उनकी परेशानियों को उजागर कर रहा है।
इस पूरे मामले पर संबंधित विभागों और अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों एक साधारण सी तकनीकी समस्या को डेढ़ महीने से अधिक समय से ठीक नहीं किया गया है? क्या अधिकारी जनता की परेशानियों के प्रति संवेदनहीन हो गए हैं? झारटाइम्स डिजिटल मीडिया मांग करता है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान दें और युद्धस्तर पर समाधान निकालें, ताकि महुआडांड़ के रैयतों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
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