लुरगुमी कला में मस्जिद की छत की ढलाई का कार्य संपन्न, बड़ी संख्या में लोगों ने दिया सहयोग

महुआडांड़, 28 अक्तूबर 2025
🔹 लुरगुमी कला में मस्जिद की छत की ढलाई संपन्न, सैकड़ों लोगों ने किया श्रमदान
🔹 सुबह से शाम तक चला सामुदायिक सहयोग का कार्य
🔹 ग्रामीणों ने नकद, जेवर और श्रमदान से दिया योगदान
🔹 धर्मगुरुओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दी एकता की सीख
🔹 आपसी भाईचारे और सौहार्द की बनी मिसाल
सामुदायिक एकता का प्रतीक बना लुरगुमी कला
महुआडांड़ प्रखंड के ग्राम लुरगुमी कला में रविवार को धार्मिक आस्था और सामुदायिक एकता का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। यहां निर्माणाधीन मस्जिद की छत की ढलाई का कार्य बड़े ही उत्साह और सहयोग के साथ संपन्न हुआ। सुबह 7 बजे से कार्य की शुरुआत हुई, जिसमें आसपास के गांवों से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
लुरगुमी कला की अंजुमन कमिटी ने गांववासियों और पड़ोसी इलाकों के लोगों से इस नेक कार्य में शामिल होने की अपील की थी। अपील के बाद महुआडांड़, लुरगुमी कला और आस-पास के गांवों से लोग बड़ी संख्या में पहुंचे और अपने-अपने स्तर पर सहयोग दिया।
नकद और मेहनत से दिया गया योगदान
इस अवसर पर ग्रामीणों ने अपनी हैसियत के अनुसार चंदा दिया — किसी ने नकद राशि दी, तो किसी ने सोना-चांदी के जेवरात दान किए। कई श्रद्धालुओं ने अपने मरहूम परिजनों के नाम से चंदा देकर पुण्य कमाने की भावना भी व्यक्त की।
सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक सहयोग भी पूरे उत्साह के साथ दिया गया। युवा, बुज़ुर्ग और बच्चे तक ढलाई कार्य में हाथ बंटाते नज़र आए। सभी ने मिलकर सामुदायिक एकजुटता और भाईचारे की मिसाल पेश की।
धर्मगुरु और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
ढलाई के इस कार्य में कई धर्मगुरु, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से —
हाफिज नूरूल होदा, हाफिज बरकतुल्लाह, मौलाना नौशाद रज़ा, कारी गुलाम अहमद रज़ा, हाजी अतहर कादरी, हाफिज नसीम अख्तर, मौलाना सउद आलम मिस्बाही, मौलाना मुस्ताक़ अहमद ज्याई,
लुरगुमी कला से सदर अली अंसारी, सिक्रेट्री रहमत अंसारी, नसीम अंसारी, अब्दुल जब्बार अंसारी, अलाउद्दीन अंसारी,
महुआडांड़ से सदर इमरान अली, मजूल अंसारी, सिक्रेट्री मजहर खान, और सहाबुद्दीन खान समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए।
एकता और इंसानियत का संदेश
मौके पर उपस्थित धर्मगुरुओं ने समाज में एकता, सहयोग और धार्मिक सौहार्द बनाए रखने का आह्वान किया।
“यह मस्जिद केवल इबादत की जगह नहीं, बल्कि इंसानियत और भाईचारे की प्रतीक बनेगी। जब लोग एकजुट होते हैं, तो समाज मजबूत होता है।”
सामाजिक सौहार्द की मिसाल
मस्जिद की ढलाई का यह कार्य न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने आपसी सहयोग और एकजुटता का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। पूरे दिन का माहौल एक सामुदायिक उत्सव जैसा रहा, जिसमें हर वर्ग के लोगों ने मिलकर काम किया।
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