महुआडांड़ में फंड की कमी से विकास कार्य ठप, मुखिया असहाय

महुआडांड़, 9 दिसंबर 2025
- महुआडांड़ प्रखंड में 1 साल से पंचायतों को फंड नहीं मिला।
- सड़क, नाली, पानी और आवास जैसे सभी विकास कार्य ठप।
- मुखियाओं ने कहा—“ग्रामीणों को जवाब देना मुश्किल हो गया है।”
- ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने केंद्र पर फंड न जारी करने का आरोप लगाया।
- मंत्री ने भरोसा दिलाया—समस्या का समाधान जल्द, रुके कार्य फिर शुरू होंगे।
JharTimes Special Report
विकास कार्य पूरी तरह रुके – ग्रामीण परेशान
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड की सभी पंचायतों में पिछले एक साल से किसी भी प्रकार का विकास कार्य शुरू नहीं हो पाया है। पंचायतों को सरकार की ओर से अब तक फंड जारी नहीं हुआ, जिसके चलते सड़क निर्माण, नाली, पेयजल आपूर्ति, आवास योजनाएं और अन्य जनकल्याणकारी कार्य अधर में लटके हुए हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में उनकी दैनिक समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं।
मुखियाओं की पीड़ा: “ग्रामीण पूछते हैं, पर जवाब हमारे पास नहीं”
फंड न मिलने से पंचायत प्रतिनिधियों की स्थिति अत्यंत कठिन हो गई है। महुआडांड़ प्रखंड के कई मुखियाओं ने अपनी बेबसी जताते हुए कहा:
“एक साल से फंड न मिलने के कारण गांव में कोई नया काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण हर दिन सवाल करते हैं, लेकिन हमारे पास देने के लिए कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। फंड के बिना हम पूरी तरह असहाय हैं।”
उनके अनुसार, पंचायतों की जिम्मेदारियाँ तो बनी रहती हैं, लेकिन बिना बजट के उन्हें निभाना लगभग असंभव है।
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने केंद्र को ठहराया जिम्मेदार
इस गंभीर स्थिति पर झारखंड की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि राज्य में फंड की भारी कमी है, और इसकी मुख्य वजह केंद्र सरकार द्वारा राशि जारी न करना है।
उन्होंने कहा:
“केंद्र सरकार की ओर से राशि रिलीज नहीं की जा रही है, इसी वजह से पंचायतों में विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।”
मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार लगातार केंद्र से संपर्क में है और जैसे ही फंड उपलब्ध होगा, पंचायतों में रुके हुए काम तेज गति से शुरू किए जाएंगे।
ग्रामीणों की उम्मीदें अभी भी कायम
हालांकि स्थिति चिंताजनक है, लेकिन ग्रामीण और पंचायत प्रतिनिधि दोनों को उम्मीद है कि जल्द समाधान मिलेगा और बुनियादी सुविधाओं को लेकर चल रही परेशानियाँ कम होंगी।
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