महुआडांड़ में दर्दनाक हादसा: कृषि फार्म में मजदूर की कुएं में गिरकर मौत, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

महुआडांड़ (लातेहार), 3 अगस्त 2025
- रामपुर कृषि फार्म में धान रोपाई कार्य के बाद मजदूर की कुएं में गिरकर मौत।
- मृतक बीरेन्द्र नगेसिया (40) कृषक पाठशाला एनजीओ के तहत नियमित मजदूर के रूप में काम करता था।
- घटना के बाद पत्नी और चार बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल, परिवार बेहद गरीब।
- स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
- मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल, प्रशासन और एनजीओ से मदद की उम्मीद।
घटना का विवरण
महुआडांड़ थाना क्षेत्र के रामपुर ग्राम में शनिवार शाम एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया।
सोहरपाठ निवासी बीरेन्द्र नगेसिया (40) की कुएं में गिरने से मौत हो गई। वह कृषक पाठशाला एनजीओ (चाईबासा) के तहत कृषि फार्म डेरा में नियमित मजदूर के रूप में काम कर रहा था और अपने परिवार के साथ वहीं रह रहा था।
जानकारी के अनुसार, रामपुर कृषि फार्म में धान रोपाई का कार्य चल रहा था। काम समाप्त होने के बाद बीरेन्द्र नहाने के लिए कुएं के पास गया और अचानक फिसलकर कुएं में गिर गया।
गवाह की जुबानी
मृतक की पत्नी पतसुग्गी नगेसिया ने बताया:
“धान रोपने के बाद वह नहाने गया था। तभी बच्चों ने डूबने की आवाज सुनी और जोर-जोर से चिल्लाने लगे। गांव के लोग दौड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कुएं के पास कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं था, न ही रस्सी या बाड़ जैसा कोई सहारा। यह लापरवाही इस दुखद घटना की एक बड़ी वजह बनी।
गरीब परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
बीरेन्द्र नगेसिया अपने पीछे पत्नी और चार छोटे बच्चों को छोड़ गया है। परिवार पहले से ही आर्थिक संकट में था और अब उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है। पत्नी को उम्मीद है कि एनजीओ और प्रशासन से मदद मिलेगी, जिससे बच्चों की परवरिश संभव हो सके।
प्रशासन की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही महुआडांड़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची।
पुअनि बंधन तिर्की ने पुलिस बल के साथ पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए लातेहार भेजा। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
सुरक्षा पर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या ऐसे कार्य स्थलों पर मूलभूत सुरक्षा इंतजाम नहीं होने चाहिए? कुएं जैसे खतरनाक स्थानों को खुला छोड़ना मजदूरों की जान के साथ खिलवाड़ है।
प्रशासन और ठेका लेने वाले संगठनों को चाहिए कि मजदूरों के लिए आपातकालीन सहायता, बीमा और सुरक्षा नियमों को अनिवार्य बनाएं।
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