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नेतरहाट ग्रामवासियों ने टेंट सिटी व यूको कॉटेज निर्माण के लिए जमीन देने से किया इंकार

महुआडांड़, 5 नवंबर 2025

  • नेतरहाट के ग्रामीणों ने टेंट सिटी व यूको कॉटेज निर्माण के लिए भूमि देने से किया इंकार
  • ग्रामीणों ने उपायुक्त लातेहार को सामूहिक आवेदन सौंपा
  • कहा — “खेती योग्य जमीन ही हमारी आजीविका का आधार है”
  • गांव के पास कोई खाली या बंजर भूमि नहीं, प्रशासन से वैकल्पिक स्थान चुनने की मांग
  • ग्रामीण बोले — “विकास के खिलाफ नहीं, पर खेती पर संकट मंज़ूर नहीं”

नेतरहाट के ग्रामीणों ने विकास परियोजना पर जताई आपत्ति

महुआडांड़ प्रखंड के नेतरहाट ग्राम में टेंट सिटी और यूको कॉटेज निर्माण की प्रस्तावित योजना को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन को पत्र लिखकर भूमि देने से स्पष्ट इंकार कर दिया है। ग्रामीणों ने उपायुक्त लातेहार को भेजे गए आवेदन में कहा है कि गांव की सारी जमीन खेती योग्य है और यह उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।

ग्रामीणों ने कहा कि यदि इस जमीन पर सरकारी निर्माण कार्य आरंभ किया गया तो उनकी खेती, जीवन-यापन और आने वाली पीढ़ियों की रोज़ी-रोटी पर गहरा असर पड़ेगा।


ग्रामीणों की अपील — “किसी अन्य स्थान पर करें निर्माण”

ग्रामीणों ने आवेदन में यह भी स्पष्ट किया कि गांव के आस-पास कोई खाली या बंजर भूमि उपलब्ध नहीं है जहाँ निर्माण कराया जा सके। इसलिए प्रशासन से आग्रह किया गया है कि उक्त परियोजनाओं के लिए किसी अन्य उपयुक्त स्थान का चयन किया जाए, जिससे स्थानीय किसानों को अपनी जमीन से वंचित न होना पड़े।

आवेदन में दर्ज प्रमुख हस्ताक्षरों में राजीव किशन, गाजिन्द्र किसान, तेजनारायण किसान, गुलु किसान, संजय किसान, मांगता किसान सहित कई अन्य ग्रामीणों के नाम शामिल हैं।


“हम विकास के विरोधी नहीं, लेकिन अपनी खेती नहीं छोड़ सकते”

ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि वे सरकार की पर्यटन विकास योजनाओं के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन खेती योग्य भूमि का उपयोग इस तरह के निर्माण के लिए करना उनके जीवन और भविष्य के लिए गंभीर संकट उत्पन्न करेगा।

स्थानीय किसान राजीव किशन ने कहा —

“हम पर्यटन का स्वागत करते हैं, लेकिन अपनी जमीन नहीं दे सकते। यह जमीन ही हमारा जीवन है, इसे खोने का मतलब है अपनी पहचान खो देना।”


प्रशासन की ओर से अभी नहीं आया कोई बयान

इस मामले पर प्रशासनिक स्तर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि ग्रामीणों को उम्मीद है कि जिला प्रशासन उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगा और कोई संतुलित निर्णय लेगा।


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