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त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधियों की 8 सूत्री मांगें — सरकार से शीघ्र समाधान की अपील

रांची, 13 नवंबर 2025

  • झारखंड प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधि संघ ने सरकार के सामने 8 सूत्री मांगें रखीं
  • पंचायतों को वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार देने की मांग
  • 15वें वित्त आयोग की राशि तत्काल जारी करने की अपील
  • आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में ₹30 लाख मुआवजा और पेंशन की व्यवस्था की मांग
  • चेतावनी—समाधान नहीं मिला तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा

पंचायत प्रतिनिधियों की 8 सूत्री मांगें, सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपील

रांची। झारखंड प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधि संघ ने पंचायत व्यवस्था को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए राज्य सरकार से तुरंत ठोस कदम उठाने की अपील की है। संघ ने 8 सूत्री मांगों को सार्वजनिक करते हुए कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को आज भी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों के अभाव में काम करने में कठिनाई हो रही है।


🔸 संघ की प्रमुख मांगें

संघ की मांगों में शामिल हैं—

  1. 15वें वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग की राशि तत्काल पंचायतों को उपलब्ध कराई जाए।
  2. जनप्रतिनिधियों की आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में ₹30 लाख का बीमा या मुआवजा दिया जाए।
  3. सेवा समाप्ति के बाद पेंशन की व्यवस्था की जाए।
  4. केरल और बिहार की तर्ज पर सभी पंचायत प्रतिनिधियों को मासिक मानदेय मिले।
  5. पंचायतों को टाइड और अनटाइड फंड पर खर्च और भुगतान का अधिकार दिया जाए।
  6. डीएमएफटी फंड का उपयोग पंचायत व्यवस्था के अनुसार किया जाए।
  7. पंचायतों को 14 विभागों और 29 विषयों में अधिकार दिए जाएं।
  8. सांसद एवं विधायक मद की तर्ज पर निजी मद की सुविधा, अबुआ आवास लाभुकों को शीघ्र भुगतान और पीएम आवास राशि बढ़ाने की भी मांग की गई है।

🔸 संघ का बयान और चेतावनी

संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा—

“पंचायत प्रतिनिधि जनता के सबसे नजदीकी जनसेवक हैं, लेकिन अधिकारों के अभाव में वे असहाय महसूस कर रहे हैं। यदि सरकार ने हमारी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो राज्यभर के जनप्रतिनिधि आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”

उन्होंने कहा कि इन मांगों को पूरा किए बिना ग्राम स्वराज्य की अवधारणा अधूरी रहेगी।


🔸 प्रशासनिक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा

सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने फिलहाल इन मांगों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पंचायती राज विभाग स्तर पर प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है।


🔸 जनप्रतिनिधियों में बढ़ रही नाराजगी

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कहा कि वर्षों से पंचायत स्तर पर फंड और अधिकारों का केंद्रीकरण नहीं हुआ है। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा आती है और ग्रामीण विकास की रफ्तार प्रभावित होती है।


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