युवाओं का सब्र टूटा, महुआडांड़ में बेरोज़गारी बनी विस्फोटक मुद्दा

महुआडांड़, 9 नवंबर 2025
- महुआडांड़ प्रखंड में बेरोज़गारी का संकट तेजी से गहराता जा रहा है।
- युवाओं में सरकार के प्रति गहरा रोष, सड़कों पर उतरकर जताया विरोध।
- युवाओं का आरोप — “रोज़गार का वादा सिर्फ़ चुनावी जुमला साबित हुआ।”
- दो वर्षों में रोजगार सृजन दर घटी, पलायन में हुई तेज़ बढ़ोतरी।
- स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना — “सरकार सिर्फ़ भाषणों में व्यस्त, धरातल पर कुछ नहीं।”
युवाओं का सब्र टूटा — सड़कों पर गूंजा गुस्सा
महुआडांड़ प्रखंड में बेरोज़गारी अब एक विस्फोटक मुद्दा बन चुकी है। लंबे समय से रोजगार की उम्मीद लगाए बैठे युवा अब सड़कों पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने चुनाव के समय ‘हर हाथ को काम’ देने का वादा किया था, लेकिन अब वही वादा टूटे सपनों की तरह बिखर चुका है।
स्थानीय युवक ने गुस्से में कहा,
“नेताओं ने कहा था ‘हर हाथ को काम देंगे’, लेकिन अब हाथ में सिर्फ़ निराशा है। सरकार जनता के साथ विश्वासघात कर रही है।”
“वादा था रोजगार का, मिला सिर्फ़ इंतज़ार”
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। सरकारी विभागों में वर्षों से पद खाली पड़े हैं, लेकिन नई नियुक्तियों की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। बेरोज़गारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
महुआडांड़ बाज़ार में इन दिनों एक ही चर्चा है — “कब मिलेगा रोजगार?”
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है,
“सरकार सिर्फ़ विज्ञापन और भाषणों में व्यस्त है। ज़मीनी हकीकत यह है कि बेरोज़गार भूख और मजबूरी से लड़ रहे हैं।”
आंकड़ों में दिखती हकीकत
बीते दो वर्षों के आँकड़े बताते हैं कि झारखंड में रोजगार सृजन की दर लगातार घट रही है, जबकि पलायन का ग्राफ बढ़ा है। सैकड़ों युवा रोज़ी-रोटी की तलाश में अपने गाँव छोड़कर शहरों का रुख कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में यह संकट और गहराएगा।
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