
महुआडांड़ , 2 जुलाई 2025 — मोहर्रम की सातवीं तारीख के मौके पर 3 जुलाई 2025, दिन गुरुवार को महुआडांड़ स्थित करबला मैदान में लंगरख़ानी का खास एहतेमाम किया जाएगा। इसकी जानकारी समाजसेवी जुनैद अंसारी और नैयार आज़म ने दी। हर साल की तरह इस बार भी यह आयोजन बड़े अकीदत (श्रद्धा) और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।
मोहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना है, जिसे ग़म और सब्र का महीना कहा जाता है। इस मौके पर कर्बला की सरज़मीं पर दी गई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके जाँनिसार साथियों की कुर्बानी को याद किया जाता है।
जुनैद अंसारी और नैयार आज़म ने बताया कि लंगर की तैयारी में स्थानीय युवाओं की पूरी टीम लगी हुई है। साफ़-सफ़ाई, सुरक्षा और सहूलियतों का खास ख्याल रखा जा रहा है।
करबला से मिलती है सब्र, सच्चाई और इंसाफ की तालीम
सन् 680 ई. में करबला की जंग में पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद ﷺ के नवासे इमाम हुसैन ने ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और यज़ीद जैसे जालिम हुक्मरान के सामने सर झुकाने से इंकार कर दिया। उन्होंने अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी लेकिन हक (सच) का दामन नहीं छोड़ा।उन्होंने कहा,
“मैं ज़ुल्म और नाइंसाफ़ी का साथ नहीं दे सकता, भले ही इसके लिए मुझे अपनी जान क्यों न देनी पड़े।“
इस वाक़ये से यह तालीम मिलती है कि सच्चाई और इंसाफ़ के रास्ते पर चलने वाला कभी हारता नहीं — चाहे वक़्त कैसा भी हो।
इंसानी बराबरी और खिदमत का पैग़ाम
महुआडांड़ के करबला में होने वाली लंगरख़ानी सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि समाज में मोहब्बत, एकता और खिदमत-ए-ख़ल्क़ (जनसेवा) का बेहतरीन नमूना है। इसमें हर मज़हब, जाति और वर्ग के लोग मिलकर हिस्सा लेते हैं, जिससे भाईचारे की मिसाल क़ायम होती है।
JharTimes की तरफ़ से पैग़ाम:
“मोहर्रम का महीना हमें सब्र, इंसाफ़ और इंसानियत का रास्ता अपनाने की प्रेरणा देता है। करबला की कुर्बानी हमें यह सिखाती है कि सच के लिए खड़े रहना ही असली हिम्मत है। JharTimes परिवार की तरफ़ से तमाम अज़ादारों को सलाम और लंगरख़ानी के इस नेक कार्य के लिए ढेरों दुआएं।”
📢 झारखंड की ताज़ा खबरें अब सीधे आपके WhatsApp पर!
🔗 WhatsApp ग्रुप जॉइन करेंझारटाइम्स – आपके गाँव, आपके खबर